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अपने ही रंग में रंग दीनी कान्हा
मेरी सुध बुध भी तैने छीनी
संगी सहेली सब मारें ताना
मेरो नाम तेरे संग जोड़ दीनी
तोरे प्रेम का रंग चढ़ो ऐसौ
अब छुड़ावै से भी ना छूटै
का मुँह लैके जाऊँ घर पै
मोरे प्राण हलक में अटकै।
मं शर्मा( रज़ा)
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