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प्रेम जोग की अजब कहानी
एक थी दासी एक थी रानी
एक रही दरसन की प्यासी
दूजी फिरी हो प्रेम दीवानी
एक पाकर भी रही अधूरी
दूजी की कभी आस न छूटी
राधा कहो कि मीरा कह लो
दोनों के प्रेम में केवल भक्ति।
मं शर्मा (रज़ा)
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