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नई नई पहनी है मैंने
धानी रंग की चुनरिया
पीले पीले बूटे जिसमें
फूलों वाली किनरिया
ऐ पवन के चंचल झोंके
ना कर मुझसे ठिठोली
उड़ जाएगी मेरी चुनरी
मैं प्रकृति अति शर्मीली।
मं शर्मा (रज़ा)
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