पीढ़ी's image
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बीड़ी सिगरेट फूँक रही है 

गुटखा पान चबा रही है

उन्मादी भौतिकता के नशे में

संस्कारों की बलि चढ़ रही है

ये पीढ़ी कहाँ जा रही है


दिखावट की चकाचौंध में

सच की अनदेखी हो रही है

कुविचारों की सड़ी नींव पर

खुशियों के महल बना रही है

ये पीढ़ी कहाँ जा रही है।



मं शर्मा (रज़ा)

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