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दाता का कोई दोष नहीं
सुख के साथ दुख मिले हैं
उसका काम है देना पगले
तेरी छलनी में छेद मिले हैं
बगिया ने फूल भेंट किए हैं
पर फूलों संग काँटे खिले हैं
तू अपना दामन संभाल पगले
काँटे हैं कि फूल चुने हैं ।
मं शर्मा (रज़ा)
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