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वतन की गोद में पला
मैं वतन का लाडला
वतन पे फिदा था मैं
वतन ही पर मर मिटा
वतन का कर्ज़ था मुझपे
वो सर से उतार दिया
फख्र से सिर ऊँचा कर
मैं वतन से चला गया।
मं शर्मा (रज़ा)
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वतन की गोद में पला
मैं वतन का लाडला
वतन पे फिदा था मैं
वतन ही पर मर मिटा
वतन का कर्ज़ था मुझपे
वो सर से उतार दिया
फख्र से सिर ऊँचा कर
मैं वतन से चला गया।
मं शर्मा (रज़ा)
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