फरेब's image
Share0 Bookmarks 36 Reads0 Likes

फरेब चाहे कोई दे

दर्द चाहे कहीं से मिले

आँसुओं की मजबूरी को

मैं ही समझता हूँ


फरेब की कहानी को

अपनी जुबानी कहता हूँ

चुन चुन कर मोती सारे

कविताओं में पिरोता हूँ।


मं शर्मा (रज़ा)

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts