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फरेब खाने का मन हुआ
तो आशिकी कर ली
जबदिल टूट गया
तो मयकशी कर ली
हाल आशिकों का
कुछ यूँ हुआ ज़माने में
ना तो दीन रहा
ना ही दुनिया मिली।
मं शर्मा (रज़ा)
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फरेब खाने का मन हुआ
तो आशिकी कर ली
जबदिल टूट गया
तो मयकशी कर ली
हाल आशिकों का
कुछ यूँ हुआ ज़माने में
ना तो दीन रहा
ना ही दुनिया मिली।
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