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कहाँ पहुँचना था
कहाँ चले आए
जहाँ से चले थे
वहीं लौट आए
मैं पथभ्रमित हूँ
कि राहें गुमराह हैं
आगे बढ़ने से पहले
सुनिश्चित हो जाए।
मं शर्मा (रज़ा)
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कहाँ पहुँचना था
कहाँ चले आए
जहाँ से चले थे
वहीं लौट आए
मैं पथभ्रमित हूँ
कि राहें गुमराह हैं
आगे बढ़ने से पहले
सुनिश्चित हो जाए।
मं शर्मा (रज़ा)
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