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ऐ पतझड़ मेरे फूलों को लेले
चाहे तो फल भी तू लेले
मेरा अस्तित्व मेरे पत्तों से है
बस उनको जीवित रहने दे
हरियाले परिधानों से ही
मुझको मेरी पहचान मिले
आन बान और शान बढ़े तो
मृतप्राय तन में जान पड़े।
मं शर्मा( रज़ा)
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