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मैं दिसम्बर आने का जश्न मनाता हूँ
तुम साल गुज़रने का सोग मनाते हो
तुझ में और मुझ में फर्क यही है
मैं हर आते पल को पर्व बनाता हूँ
तुम जाने से पहले मातम करते हो ।
मं शर्मा (रज़ा)
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मैं दिसम्बर आने का जश्न मनाता हूँ
तुम साल गुज़रने का सोग मनाते हो
तुझ में और मुझ में फर्क यही है
मैं हर आते पल को पर्व बनाता हूँ
तुम जाने से पहले मातम करते हो ।
मं शर्मा (रज़ा)
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