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परिश्रम है धर्म मेरा

मेहनत से मेरा वास्ता

अपने ही हाथों से गढ़ा

मंज़िल का मैंने रास्ता


दास हूँ मैं कर्म का

ठहरना नहीं जानता

जीवन को संघर्ष माना

विलासिता नहीं जानता।


मं शर्मा( रज़ा)

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