
Share0 Bookmarks 12 Reads0 Likes
परिश्रम है धर्म मेरा
मेहनत से मेरा वास्ता
अपने ही हाथों से गढ़ा
मंज़िल का मैंने रास्ता
दास हूँ मैं कर्म का
ठहरना नहीं जानता
जीवन को संघर्ष माना
विलासिता नहीं जानता।
मं शर्मा( रज़ा)
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments