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मैंने सुना है
भोर में पंछियों का
चहचहाना
अपने नवशिशुओं को
घोंसले में रहने को
समझाना
मैंने देखा है
दूर देस से दाने लाने
परिंदों का उड़ जाना
सांझ ढले फिर
लौट सकुशल
अपनों में रम जाना।
मं शर्मा( रज़ा)
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