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पानी से जी जाते हैं
हम पानी से ही मरते हैं
जब बादल अपनी पे आके
मनमानियां सी करते हैं
पानी में छपाक करते
स्कूल से लौटते ये बच्चे
हरियाली को देख देख
मन ही मन चहकते हैं
ढह गये घर कितनों के
टपकने लगी कितनी छतें
कोस रहे हैं वो पानी को
आँखों में पानी भर के।
मं शर्मा(रज़ा)
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