पैबंद's image
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ज़ख्म गहरा था

अंदाज़ा न हुआ

कब नासूर हुआ

पता न चला


दर्द बन के लहू

रिसता गया

पैबंद किए बहुत

फायदा न हुआ ।


मं शर्मा (रज़ा)

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