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साँझ ढलने लगी
दिवस थक चुका है
चलो घर लौट चलें
सूरज भी चल पड़ा है
फिर आएगा विहान
सुनहरे रथ पर सवार
सूरज की पहली किरणों से
दमक उठेगा संसार ।
मं शर्मा (रज़ा)
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साँझ ढलने लगी
दिवस थक चुका है
चलो घर लौट चलें
सूरज भी चल पड़ा है
फिर आएगा विहान
सुनहरे रथ पर सवार
सूरज की पहली किरणों से
दमक उठेगा संसार ।
मं शर्मा (रज़ा)
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