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गली गली फिरे
घर घर डोले
पगली सी पवन
उड़े गगन गगन
बिखेरे फूलों की सुगंध
करे शीतल तन मन
गजब तेरे रंग ढंग
फिरे मस्त मलंग।
मं शर्मा (रज़ा)
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गली गली फिरे
घर घर डोले
पगली सी पवन
उड़े गगन गगन
बिखेरे फूलों की सुगंध
करे शीतल तन मन
गजब तेरे रंग ढंग
फिरे मस्त मलंग।
मं शर्मा (रज़ा)
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