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समंदर की गीली रेत पर
कदमों के निशान सा
लहरों के इशारे पर
मिटने के फरमान सा
झूठी शानोशौकत वाले
किराए के मकान सा
जीवन ऊँची दुकान के
फीके पकवान सा।
मं शर्मा( रज़ा)
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समंदर की गीली रेत पर
कदमों के निशान सा
लहरों के इशारे पर
मिटने के फरमान सा
झूठी शानोशौकत वाले
किराए के मकान सा
जीवन ऊँची दुकान के
फीके पकवान सा।
मं शर्मा( रज़ा)
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