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रोज़ बने और रोज़ मिटे
कुछ छोटे कुछ बड़े दिखे
लहरों जैसे कुछ बह गए
कुछ यादें अपनी छोड़ गए
ख्वाब थे ब
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रोज़ बने और रोज़ मिटे
कुछ छोटे कुछ बड़े दिखे
लहरों जैसे कुछ बह गए
कुछ यादें अपनी छोड़ गए
ख्वाब थे ब
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