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अंधेरे के चंगुल में थी रात
भोर ने निजात दिलाई है
जब जब भटके रास्ता राही
मंजिल ने राह सुझाई है
रंग लाई मेहनत की लगन
बाद मुद्दत के ये रात आई है।
मं शर्मा( रज़ा)
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अंधेरे के चंगुल में थी रात
भोर ने निजात दिलाई है
जब जब भटके रास्ता राही
मंजिल ने राह सुझाई है
रंग लाई मेहनत की लगन
बाद मुद्दत के ये रात आई है।
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