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चुरा कर कुछ लम्हे
जिंदग़ी जी ली है
नज़रो करम पे तेरे
बाकी गुज़ार दी है ।
मं शर्मा (रज़ा)
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जिंदग़ी जी ली है
नज़रो करम पे तेरे
बाकी गुज़ार दी है ।
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