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अपनी सरलता का
भीषण दुर्बलता का
सारी विफलता का
दोष किसको दूँ
मैं खुद से रूठा हूँ
खुद ही से नाराज हूँ
कौन मुझे मनाएगा
कौन मुझे जानेगा
भीड़ में खो गया हूँ
खुद को ढूँढ रहा हूँ
कल तक मना लूँगा
आज भर नाराज़ हूँ।
मं शर्मा (रज़ा)
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