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अजब गजब सी दौड़ मची है
बस जीतने की होड़ लगी है
हर चेहरे पर नकाब चढ़ा है
विश्वास का दामन छूट रहा है
संबंधों में सच्चाई रही ना
हर रिश्ते का रंग उतर रहा है।
मं शर्मा (रज़ा)
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अजब गजब सी दौड़ मची है
बस जीतने की होड़ लगी है
हर चेहरे पर नकाब चढ़ा है
विश्वास का दामन छूट रहा है
संबंधों में सच्चाई रही ना
हर रिश्ते का रंग उतर रहा है।
मं शर्मा (रज़ा)
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