नजर ए इनायत's image
Share0 Bookmarks 18 Reads1 Likes

चल तो रहे थे अपने ही रास्ते

कुछ अपने कुछ अपनों के वास्ते

दर्द था कि बिन बुलाए चला आया

साथ हो लिया आहिस्ते आहिस्ते


मुझे डगमगाने की कोशिशों में

अड़चनें डालता रहा रास्तों में

नजर ए इनायत मांगता रह गया मैं

पनाहों में तेरी नज़रों के सामने।



मं शर्मा (रज़ा)

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts