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निश्छल निर्मल नदी होना है
आज कल नहीं सदी होना है
अपना अस्तित्व नहीं खोना है
सागर नहीं मुझे नदी होना है ।
मं शर्मा (रज़ा)
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निश्छल निर्मल नदी होना है
आज कल नहीं सदी होना है
अपना अस्तित्व नहीं खोना है
सागर नहीं मुझे नदी होना है ।
मं शर्मा (रज़ा)
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