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हर रोज़ की मुलाकात का
सिलसिला नहीं न सही
गाहे बगाहे मतलब से ही
मुलाकात तो किया करो
यूँ मिलते मिलाते शायद
कोई सिलसिला बन जाए
इन मतलबी मुलाकातों का
कोई मतलब निकाल आए ।
मं शर्मा (रज़ा)
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