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मुखौटा हूँ अपनी रूह का
मेरा कोई अस्तित्व नहीं
मुझसे रूह की पहचान है
कोई और मेरा औचित्य नहीं।
मं शर्मा (रज़ा)
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मुखौटा हूँ अपनी रूह का
मेरा कोई अस्तित्व नहीं
मुझसे रूह की पहचान है
कोई और मेरा औचित्य नहीं।
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