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चाह कर भी टूटे नहीं
छोड़ कर भी छूटे नहीं
धागे ये मोह के
तुमसे थे जोड़े कभी
तुम क्या जानो मोह क्या
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चाह कर भी टूटे नहीं
छोड़ कर भी छूटे नहीं
धागे ये मोह के
तुमसे थे जोड़े कभी
तुम क्या जानो मोह क्या
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