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हमराह है मेरा
हमराज़ है मेरा
हमदर्द है मेरा
मददगार है मेरा
तेरे ही दम से हूँ
तेरे ही दर पे हूँ
तेरे सिवा न कोई
घर दूसरा मेरा
अंजाम है मेरा
आगाज़ भी तू ही
इश्क है तुझी से
तू मीत है मेरा।
मं शर्मा (रज़ा)
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