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नीचे धरती ऊपर आकाश
मौसम के बदले हालात
ठंडी ठंडी पड़े फुहार
लहरों पर उठा ज्वार
धड़कनों ने पकड़ी रफ्तार
बहने लगी नशीली बयार
किसी कवि की कल्पना ने
मानो रच दिया मल्हार ।
मं शर्मा( रज़ा)
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