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सदियों से अभिलाषित है
काल खंड में परिलक्षित हैं
तुम भी और मैं भी
युग युग से प्रतीक्षारत हैं
मौन मिलन को उद्यत हैं
तुम भी और मैं भी।
मं शर्मा (रज़ा)
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सदियों से अभिलाषित है
काल खंड में परिलक्षित हैं
तुम भी और मैं भी
युग युग से प्रतीक्षारत हैं
मौन मिलन को उद्यत हैं
तुम भी और मैं भी।
मं शर्मा (रज़ा)
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