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आँगन सिमट कर बालकनी हुए हैं
परिवार टूटकर फैमिली हुए हैं
संस्कारों की उड़ाके धज्जियाँ
आधुनिकता के पैरोकार हुए हैं
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आँगन सिमट कर बालकनी हुए हैं
परिवार टूटकर फैमिली हुए हैं
संस्कारों की उड़ाके धज्जियाँ
आधुनिकता के पैरोकार हुए हैं
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