मशवरा's image
Share0 Bookmarks 45 Reads0 Likes

ज़मीं से आसमाँ तक रच के

साजिशें तेरी बर्बादी की

तेरे पहलू में आ बैठे हैं

मशवरे देने की खातिर


मशवरा लेने में हर्ज क्या है

मिटना ही है दर्द क्या है

दोस्ती निभाले दुश्मनों से

आज फिर दोस्ती की खातिर ।


मं शर्मा (रज़ा)

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts