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मन की आँखें

Manju SharmaManju Sharma May 6, 2023
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आँखों से नीर बन कर

कहीं बह न जाना तुम

यादों की इस भीड़ में

कहीं बिसर न जाना तुम


मन में बसाया है जबसे

खाली बचा न कोई कोना

मन की आँखों से होता है

नित तुमको निहारा करना।


मं शर्मा (रज़ा)

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