
Share0 Bookmarks 13 Reads0 Likes
तूफां में दीये जलाने का हुनर जिनको
आँधियों से रियायत की आस क्यों है
फासलों का शौक रखा करते थे जो
दरम्यां दूरियों का उन्हें मलाल क्यों है
अब के जो बिछड़े हैं बिछड़े ही रहने दे
फिर एक बार मिलन की ज़रूरत क्यों है ।
मं शर्मा( रज़ा)
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments