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आया मकर संक्रांति त्यौहार
लाया गुड़ तिल की बहार
गजक मूँगफली और रेबड़ी
सर्दी की न चलेगी हेकड़ी
अग्निदेव का आह्वान करें
नई फसल को अर्पण करें
चलो नाचें गाएं ढोल बजाएं
खुशियों की ऊँची पतंग उड़ाएँ।
मं शर्मा (रज़ा)
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