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भूला नहीं हूँ आज भी
वो बचपन के ज़माने
कागज़ की कश्तियाँ
और लकड़ी के खिलौने
दिन भर माँ तेरा यूँही
चौके में खटते रहना
स्कूल से जब लौटूँ तो
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भूला नहीं हूँ आज भी
वो बचपन के ज़माने
कागज़ की कश्तियाँ
और लकड़ी के खिलौने
दिन भर माँ तेरा यूँही
चौके में खटते रहना
स्कूल से जब लौटूँ तो
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