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रोशन सुरमई सा आफ्ताब हो
या शीतल सुंदर माहताब हो
लफ्ज़ों में गढ़ी कोई कविता हो
या लहराती हुई सुर सरिता हो
प्रश्न जितने भी उपजे मन में
सबका तुम ही एक जवाब हो
कोई सानी ना मिले जिसका
तुम वो करिश्मा लाजवाब हो।
मं शर्मा (रज़ा)
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