
Share0 Bookmarks 6 Reads0 Likes
एहसासों की माला जैसे
भावनाओं से ओतप्रोत
कुछ खत मैंने संजो रखे हैं
पिता गए थे जिनको छोड़
ह्रदयस्पर्शी बातें हैं इनमें
कुछ जीवन के उत्तम मंत्र
गीता का सा सार लगें मुझे
जब मन मेरा हो जाए अशांत ।
मं शर्मा (रज़ा)
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments