
Share0 Bookmarks 17 Reads0 Likes
मन में उपजे हैं
मन ही में रहने दे
कोमल भाव हैं
आहत होंगे
कोई न समझेगा
अंजान बनेंगे
सौदागर हैं
मोलभाव करेंगे।
मं शर्मा (रज़ा)
No posts
No posts
No posts
No posts
मन में उपजे हैं
मन ही में रहने दे
कोमल भाव हैं
आहत होंगे
कोई न समझेगा
अंजान बनेंगे
सौदागर हैं
मोलभाव करेंगे।
मं शर्मा (रज़ा)
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments