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सुकून मिलता है तेरे पास आकर
कुछ बात तेरे किरदार में तो है
मेरे चेहरे से मेरा दर्द पढ़ लेती है
कुछ बात माँ के दुलार में तो है
तेरे होने भर से महफूज़ रहता हूँ
वजूद में तेरे गजब की धार तो है।
मं शर्मा (रज़ा)
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