
Share0 Bookmarks 12 Reads0 Likes
मैं खुद में खो जाऊँ जब
तुमको भूल जाऊँ तब
यादों की खिड़की खोलकर
तुम मुझको आवाज़ न देना
आगे मैं बढ़ जाऊँगा जब
हरगिज़ रूक न पाऊँगा तब
रिश्तों की फिर दुहाई देकर
तुम मुझको आवाज़ न देना ।
मं शर्मा (रज़ा)
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments