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अब गिरी कि तब गिरी
साँसें रोके खड़ी हुई
किसी ने पूछा क्या इस
खंडहर हुई इमारत से
इन सीली दीवारों से
इन जर्जर पायदानों से
किसका रास्ता देख रही
मर कर भी क्यों जी रही ।
मं शर्मा( रज़ा)
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