खंडहर's image
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मन तो एक मंदिर था

तेरा ही तो घर था

आस्था का धूप दीप

विश्वास का नैवैद्य था


जाने कब आसक्त हुआ

मोहमाया से लिप्त हुआ

मंदिर जब महल बना तो

खंडहर में तब्दील हुआ।


मं शर्मा (रज़ा)

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