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किस बात का गुमां है
इतना ये इतरा रहे
घमंड रहा नहीं हमेशा
किसी का ध्यान रहे
तीसमारखां थे जो कल
आज खाक छान रहे
बाकी रहेगा ना कल
नामोनिशान याद रहे ।
मं शर्मा( रज़ा)
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किस बात का गुमां है
इतना ये इतरा रहे
घमंड रहा नहीं हमेशा
किसी का ध्यान रहे
तीसमारखां थे जो कल
आज खाक छान रहे
बाकी रहेगा ना कल
नामोनिशान याद रहे ।
मं शर्मा( रज़ा)
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