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केसरिया है दामन तेरा
सिंदूरी तेरी आभा है
हरी भरी धरती पर तेरी
मानो स्वर्ग उतर आया है
ऐ वतन ये मेरा सौभाग्य है
इस मिट्टी पर जन्म पाया है
हर जन्म में यहीं आता रहूँ
बस यही मेरी अभिलाषा है।
मं शर्मा (रज़ा)
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