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जब भी तन्हा होता हूँ
खामोशियों को सुनता हूँ
शोर कानों में कुछ कहता है
मैं अनदेखा कर देता हूँ
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जब भी तन्हा होता हूँ
खामोशियों को सुनता हूँ
शोर कानों में कुछ कहता है
मैं अनदेखा कर देता हूँ
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