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भरे पतझड़ में
खिली बहार सी
बिन मौसम के
बरसात सी
कोमल मन के
पहले उच्चार सी
नव-यौवन के
प्रथम उन्माद सी
मंदिर में स्थ
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भरे पतझड़ में
खिली बहार सी
बिन मौसम के
बरसात सी
कोमल मन के
पहले उच्चार सी
नव-यौवन के
प्रथम उन्माद सी
मंदिर में स्थ
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