कश्तियाँ's image
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क्षण क्षण पर लिखा

उम्र का लेखा जोखा है

अपना हिसाब चुकता कर

हर लम्हा गुज़र जाता है


उतार दीं कश्तियाँ सारी

मँझधार के पानी में

कितनी पार उतरती हैं

यही देखना रहता है ।


मं शर्मा (रज़ा)

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