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कश्ती का अपनी ख्याल आया
मन में फिर मलाल आया
साहिल पर तुम खड़े थे शायद
मैं पतवार छोड़ चला आया
पहुँचा न तुम तक ये ग़म है
तुम्हें खोने का दर्द क्या कम है।
मं शर्मा (रज़ा)
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कश्ती का अपनी ख्याल आया
मन में फिर मलाल आया
साहिल पर तुम खड़े थे शायद
मैं पतवार छोड़ चला आया
पहुँचा न तुम तक ये ग़म है
तुम्हें खोने का दर्द क्या कम है।
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